Wheat Cultivation : जनवरी का दूसरा सप्ताह है, और इस समय में 2 महीने से अधिक का फल हो जाता है। इस दौरान लगातार धुंध, कोहरा और तेज ठंड का मौसम बना हुआ है। हालांकि तेज ठंड से होने वाले नुकसान से कोई नुकसान नहीं होता है, लेकिन धुंध और कोहरे के कारण बीमारी की संभावना बढ़ जाती है।
वर्तमान मौसम की स्थिति के बारे में जानकारी के लिए अनुकूल मंदी जा रही है, लेकिन बार-बार हो रहे मौसम परिवर्तन से फसल उत्पादन प्रभावित हो सकता है। मध्य प्रदेश और अन्य क्षेत्रों में इस समय सबसे बड़ी समस्या “पीलापन” है, जो फसलों में तेजी से गिर रही है।
कृषि का मानना है कि तेज़ ठंड और तेज़ मावठ (बारिश) की सूची के लिए फ़सल की भरपाई हो सकती है। लेकिन यदि मौसम में बदलाव लगातार हो रहा है, तो फसल में “पीली रोली” जैसे फलों का खतरा बढ़ सकता है
तेज ठंड गेहूं के लिए फायदेमंद
यह बात ध्यान देने योग्य है कि तेज सर्दी के बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि यह गेहूं की फसल के लिए लाभदायक होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सर्द मौसम में गेहूं के पौधों में अधिक फुटाव (टिलरिंग) होती है, जिससे हर टिलर पर समान बालियां बनती हैं। जितनी अधिक बालियां बनेंगी, उतनी ही ज्यादा पैदावार होगी। हालांकि, मौजूदा मौसम गेहूं की फसल के लिए अनुकूल नहीं माना जा रहा है।Wheat Cultivation
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मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले चार दिनों के बाद तापमान में बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन इससे पहले तेज ठंड पड़ेगी, साथ ही घने कोहरे और धुंध की भी संभावना है। आमतौर पर मकर संक्रांति के बाद ठंड का असर कुछ कम होने लगता है, जिससे लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।Wheat Cultivation
यह किस्में ज्यादा होती है प्रभावित
कृषि विशेषज्ञों ने मौसम में हो रहे बदलाव को ध्यान में रखते हुए किसानों के लिए सलाह जारी की है। विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं की जल्दी बोई गई फसल को कोहरे और धुंध की वजह से नुकसान होने की आशंका है।
वे बताते हैं कि राज-1482, सी-306, लोक-1, पीबीडब्ल्यू-343 और जौ की आरडी-2035 किस्मों में पीले रोग (येलो रस्ट) का प्रकोप हो सकता है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, वातावरण में अधिक नमी और कम तापमान इस रोग के फैलने में सहायक होते हैं। यह रोग आमतौर पर जनवरी के बाद दिखाई देता है, इसलिए किसानों को सतर्क रहने और फसलों की नियमित निगरानी करने की सलाह दी गई है।
यह है पीली रोली रोग के लक्षण
पीली रोली (रस्ट रोग) का प्रभाव खेत में शुरुआत में छोटे-छोटे पीले धब्बों के रूप में दिखाई देता है। अगर इस बीमारी का समय पर पता नहीं लगाया जाए, तो यह धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल सकती है। रोगग्रस्त पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीले-नारंगी रंग की धारियां बनने लगती हैं।
कुछ दिनों के भीतर, इन धारियों से कवक के बीजाणु पाउडर के रूप में बाहर निकलने लगते हैं। ये बीजाणु हवा के साथ फैलकर बीमारी को अन्य पौधों तक पहुंचाते हैं। पत्तियों पर पीली धारियों के रूप में चमकीले चकते दिखाई देने लगते हैं, जिनसे हल्दी के पाउडर जैसे पीले रंग के कवक बीजाणु निकलते हैं।
यह करें उपचार-Wheat Cultivation
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि पीली रोली रोग को नियंत्रित करने के लिए किसान फसल पर लक्षण दिखाई देने पर टेबुकोनाजोल 25.90% ईसी या प्रोपीकोनाजोल 25% ईसी का उपयोग करें। इसके लिए 1 मिलीलीटर दवा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर तैयार करें और इस घोल का 15 दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें।
ऐसे करें दीमक – मोयला का नियंत्रण
गेहूं-जौ की फसल में मोयला रोकथाम के लिए Dimethoate 30 EC 1 ml दवा का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रै करें।
दीमक नियंत्रण के लिए क्लोरपायरीफॉस 4 लीटर प्रति हैक्टयर की दर से सिंचाई पानी के साथ लगाए। स्मट रोग से ग्रसित पौधे को खेत से उखाड़ कर नष्ट कर देंवे
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